तफसीरे बुरहान में जनाब रिसालत मआब (स.अ.) से नक्ल है के आप ने फ़रमाया के ख़ुदा अस दिल को अज़ाब न करेगा जिस में कुरआन महफ़ूज़ हो.
तुम में से नेक तरीन इंसान वह है जो क़ुरआन सीखे और सिखाए .
हज़रत अमीर (अ.स.) फ़रमाते हैं: अल्लाह की किताब लाज़िम पकड़ो क्यूँ की यही मज़बूत रस्सी और वाज़ेह रोशनी और नफ़ा बख्श तंदुरुस्ती और तमस्सुक पकड़ने वाले के लिए बचाव का ज़रिया और ताल्लुक़ रखने वाले के लिए नजात का रास्ता है.
यह कज नहीं के इस्लाह का मोहताज हो.
इस में टेढ़ा पन नहीं के हर्फ़गीरी हो सके..
ज्यादा पढ़ने सुनने से पुराना नहीं होता .
जिसका कौल क़ुरआन के मुताबिक़ हो वो सच्चा और जिसका अमल क़ुरआन के मुताबिक़ वह साबिक़ है.
आपने मजीद फ़रमाया के क़ुरआन का ज़ाहिर दिलकश और बातिन दूर रस है. और इस के अजायेब और गरायेब घैयरे फानी बे हद्द और पायां हैं..
जिहालत की तारीकियां सिर्फ़ इसी से दूर हो सकती हैं.
4 comments:
Jazakallah...
Mashallah
Very good. May Allah grant us the taufeeq to lead our lives as per the tenets of the Holy Quran
ماشاءاللہ اب یہ بحث ختم ہوئ کہ قرآن ناطق اور ہے ،قرآن ثامت اور ہے
Post a Comment