उसूले काफ़ी में है....
एक रोज़ हज़रत रिसालत मआब (स.अ/) मस्जिद में तशरीफ़ लाए
लोगों की भीड़ देख कर वजह पूछी :
किसी ने अर्ज़ किया के हुज़ूर यहाँ एक अल्लामा आये हैं जिन के इर्द गिर्द लोग मौजूद हैं.
आप ने दरयाफ्त किया: अल्लामा का क्या मतलब?
लोगों ने अर्ज़ की, हुज़ूर एक शख्स है जो अरब की क़दीम तारीख और नस्लों का इल्म रखता है और माहिर है.
लोग उससे इन्हीं मोज़ू पर सवाल कर रहे हैं .
आपने फ़रमाया: यह एक ऐसा इल्म है जिससे आलिम को कोई फायेदा नहीं और इस के जाहिल को कोई नुकसान नहीं.बल्कि इल्म तो सिर्फ तीन तरह के हैं.
१. मोहकम आयात का इल्म
२. फरायेज़ का इल्म
३. सुन्नत का इल्म (कुरआन, हदीस और फ़िक्ह )